🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ पहले दिन की पहल” कहानी ~ नमः वार्ता
सूरज की किरणें अभी ठीक से वन में आई भी नहीं थीं कि चारों ओर प्रसन्नता का वातावरण-सा छा गया। सबसे पहले तो कलियां खिलखिलाकर खिल उठीं और पुनः उन पर भौरों का झुंड मंडराने लगा।
कौए ने घोंसले से सिर निकालकर देखा। गौरेया सवेरे-सवेरे उड़ती हुई कहीं जा रही थी।
कौए ने आवाज लगाई, 'बहन, सारे लोग नए वर्ष का स्वागत कर रहे हैं, तुम कहां जा रही हो? नए वर्ष की शुभकामनाएं तो लेती जाओ।'
'तुम्हें भी नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं, भैया। मैं भी नए वर्ष का ही स्वागत करने जा रही हूं।' गौरेया ने कहा।
रास्ते में चूहों का झुंड नए वर्ष को सेलिब्रेट कर रहा था। सभी चूहे मधुर संगीत पर कमर मटकाकर नाच रहे थे।
गौरेया को तेजी से उड़ते हुए देख वे भी बोल पड़े, 'गौरेया बहन, सवेरे-सवेरे कहां जा रही हो? आओ, हमारे साथ नए वर्ष का प्रसन्नता मनाओ।'
'नहीं, आप लोगों के साथ मैं नहीं आ सकती, लेकिन मैं भी नए वर्ष की शुरुआत ही करने जा रही हूं।' गौरेया बोली और उड़ चली।
कुछ ही दूरी पर भालुओं का झुंड भी नए वर्ष की प्रसन्नता में उछल-कूद कर रहा था। गौरेया को देखकर एक भालू चिल्लाया, 'गौरेया, ओ गौरेया, क्या आज भी दाना चुगने की चिंता में उड़ी जा रही हो। क्या तुम्हें स्मरण नहीं आज नया वर्ष है?'
'स्मरण है, भाई, स्मरण है। मैं भी नए वर्ष की प्रसन्नता मनाने दूसरी जगह जा रही हूं।' गौरेया बोलती हुई उड़ती रही।
शेर की गुफा के पास ढेर सारे जानवर नए वर्ष की धूमधाम से शुरुआत कर रहे थे। वहां कई प्रकार की मिठाइयां भी बन रही थीं। नाचने-गाने का व्यवस्था भी था। बाजे-गाजे के साथ सभी झूम-झूमकर प्रसन्नता मना रहे थे।
गौरेया को देख शेर ने आवाज लगाई, 'अरी गौरेया, सवेरे-सवेरे कहां जा रही हो? आओ यहां। हम सब नए वर्ष की शुरुआत अच्छे से करने के लिए इकट्ठा हुए हैं। तुम भी आओ।'
'माफ कीजिए। मैं अपने नए वर्ष की शुरुआत किसी और चीज से करना चाहती हूं। आप सिखो नए वर्ष की शुभकामनाएं।' कहती हुई गौरेया उड़ गई।
'क्यों न हम चलकर देख लें, गौरेया क्या कर रही है?' बंदर ने राय दी और सब गौरेया के रास्ते चल पड़े।
'अरे, यह क्या? यह गौरेया तो बड़ा अच्छा काम कर रही है। इस नन्ही चिड़िया की सोच तो देखो, कितनी अच्छी है।' प्रसंशा करते हुए शेर का मुख मण्डल खिल उठा।
सामने मैदान में गौरेया ढेर सारी चींटियों के झुंड को संबोधित कर रही थी, 'बहनों, तुम में से कई चींटियां गरीबी के कारण पढ़ाई नहीं कर पातीं और स्कूल जाना बंद कर देती हैं। नए वर्ष पर मैंने संकल्प लिया है कि कुछ गरीब चींटियों की पढ़ाई के लिए मदद करूंगी। साथ ही अन्य चिड़ियों और जानवरों को भी प्रेरित करूंगी कि वे तुम्हारी आर्थिक मदद करें।'
यह सुनकर मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कई चींटियों की नेत्रों से प्रसन्नता के अश्रु टपकने लगे।
ये गौरैया यानी कि मैंने 43 झुग्गी बस्ती बच्चों को पढ़ाने का काम विक्रमी संवत हिन्दू नव वर्ष पर शुरू किया था।
आहट पाकर गौरेया जब मुड़ी, तो सब जानवरों को अपने पीछे नेत्रें फाड़े देखता पाया।
'मैं कुछ गरीब चींटियों का भविष्य संवारकर नए वर्ष की शुरुआत करना चाहती थी, सो मैंने सवेरे से पहले यही काम किया। मैंने सोचा नए वर्ष की इससे अच्छी शुरुआत भला और क्या हो सकती है? गौरेया ने सफाई दी।
'आपको भी हंसने-गाने, बाजा बजाने, पकवान-मिठाई खाने से पहले किसी असहाय, लाचार, गरीब की मदद करने का काम अवश्य करना चाहिए। अभी भी समय गुथोड़ा नहीं है। चलो, आओ, सिखे सब किसी मजबूर का भविष्य संवारने के लिए जुट जाएं। इस प्रकार हमारी भी नए वर्ष की शुरुआत अच्छी रहेगी।' शेर ने सभी की ओर मुखातिब होकर कहा।
पहले दिन की पहल कीजिये
प्रेषक-
दिनेश बरेजा
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