🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ सहयोग की गुल्लक ” कहानी ~ नमः वार्ता
रिटायर हुए उन्हें अभी अधिक समय नहीं हुआ था । 65 बरस के बाबूजी रिटायर्ड शिक्षक थे । उनकी बातचीत व स्वर में अलग ही रौब दिखता था।
अम्मा तो आठ वर्ष पहले निकल गयीं थीं। परिवार में तीन बेटे बहुएं व कुल सात पोते पोती थे। संयुक्त परिवार था । बाबूजी घर के मुखिया थे , सब उनका कहा मानतें थे ।
बाबूजी अपने पास एक बड़ी सी गुल्लक रखा करते थे । सभी को कठोर आदेश थी कि अपनीं बचत के पैसे गुल्लक में अवश्य डाला करें ।
जब गुल्लक पूरी प्रकार से भर जाती तो उसे तोड़कर बाबूजी सबसे अवश्यतें पूछते , आकलन कर तय करते कि राशि किसे देनी है। बाबूजी के निर्णय पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता . अगली बार पुनः नई गुल्लक रख दी जाती।
इस बार जब गुल्लक तोड़ी गयी तो सबने अपनीं अवश्यतें बढ़ा चढ़ा कर गिनाईं ! तभी बाबूजी की दृष्टि कामवाली ललिता पर पड़ी जो बड़ी उम्मीद भरी दृष्टि से पैसों को एकटक देख रही थी।
बाबूजी ने पूछा, ललिता तेरी क्या अवश्यत है , चल तू बता ? घर के लोग आश्चर्य से बाबूजी ओर देखने लगे। ये तो उनकी कमाई का हिस्सा है कामवाली से क्यों पूछा जा रहा है ?
"बोल ललिता " ! जब दोबारा जोर से बाबू जी ने कहा तो ललिता बड़े ही बुझे स्वर में बोली , "बाबूजी मेरी तो कोई अवश्यत ना है ", पर बिटिया पूजा के स्कूल में ऑन लाइन पढ़ाई हो रही है । मेरे पास ऐसा मोबाइल नहीं , जिसमें वो पढ़ सके। सुनते ही बाबू जी बोले स्मार्ट फोन चाहिए ?
इधर आ बबलू , अपने छोटे बेटे से बाबूजी बोले । इन पैसों से स्मार्ट फोन लेते आना । सुनकर ललिता की आँख डबडबा गईं ! झट बाबूजी के चरणों पर मत्था टेक दिया। एक बच्ची पढ़ लिख जाए , इससे अच्छा और क्या हो सकता है
आजकल की स्वर्थी दुनियां में किसी के लिए दो पैसा खर्च करना भारी लगता है इसलिए बच्चों मैं इस दुनियाँ में रहूँ या ना रहूँ , तुम अपनीं आय के एक छोटे हिस्से से "सहयोग व साझेदारी" की एक गुल्लक अवश्य बनाये रखना। इससे बचत की प्रवृत्ति तो बनेगी ही , किसी एक के ऊपर कोई भार भी नहीं आएगा....! यदि परपीड़ा अनुभव कर , उसका सदुपयोग करोगे तो अलग से धर्म कर्म की आवश्यकता भी ना होगी...! !!
इस बूढ़े पिता की यह बात यदि अपनें "मन की गुल्लक" में सदा के लिए संचित कर लो तो मेरा जीवन सफल हो जाये....! सुनकर सब एक स्वर में बोल पड़े , जी बाबूजी ! इस घर में प्यार व सम्मान की गुल्लक हमेशां बनी रहेगी...! -संकलन आभार सूर्यवीर जी
आज के युवा भविष्य की वित्तीय अवश्यतों के प्रति सचेत और गंभीर नहीं हैं। वे इसके महत्व को नहीं जानते। बढ़ती उम्र में जब आय के साधन सीमित हो जाते हैं या कहें समाप्त हो जाते हैं, तो न्यूनतम अवश्यतों को पूरा करने और जीवन शैली को बनाये रखने के लिए बढ़ते खर्च को पूरा करना कठिनता होता है इसलिए यह आवश्यक है कि हम आप अपने बच्चों को शुरू से ही बचत और निवेश करना सीखाएं।
भारतीय परिवार में छोटी बचत का रिवाज बहुत पुराना है। लगभग हर घर में मिट्टी के गुल्लक होते थे और बच्चे उनमें पैसे जमा करते थे। यह चलन अब बहुत कम ही देखने को मिलता है। नयी पीढ़ी, जिसे मिलेनियम भी कहा जाता है, बचत और अपनी आर्थिक उत्तरदायित्व के प्रति लापरवाह दिखती है। यह भविष्य के लिए अधिक चिंतित नहीं रहती और आज में ही जीवन व्यतीत करने में विश्वास करती है यदि आनेवाली पीढ़ी के भविष्य को सुखमय बनाना चाहते हैं, तो यह आवश्यक है कि बच्चों में बचत करने की प्रवृत्ति को विकसित करना होगा, ताकि निवेश करने के तरीके को वे समझें। "क्या, कैसे, कितना निवेश/बचत करनी है इसकी अधिक जानकारी तथा वित्तीय निवेश की निशुल्क विचार के लिये आज ही मझे तुंरन्त संपर्क करें-दिनेश बरेजा
प्रेषक-
दिनेश बरेजा
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