🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“मेरा दुख कितना कम है ” कहानी ~ नमः वार्ता
तत्काल सर्जरी
के लिए बुलाए जाने के उपरांत एक चिकित्सक महोदय आनन-फानन में अस्पताल में प्रवेश
हुए। उन्होंने जल्द से जल्द कॉल का उत्तर दिया, अपने कपड़े परिवर्तित होे और सीधे
सर्जरी ब्लॉक में चले गए। उन्होंने पाया कि लड़के के पिता हॉल में चिकित्सक का
प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्हें देखकर पिताजी चिल्लाए: "तुमने इतना समय आने में क्यों
लिया? क्या तुम नहीं जानते कि मेरे बेटे की जान खतरे में है? क्या तुम्हें चिकित्सक
की उत्तरदायित्व का कोई अनुभव नहीं है?" चिकित्सक मुस्कुराया और कहा: "मुझे खेद है,
मैं अस्पताल में नहीं था और मैं कॉल प्राप्त करने के उपरांत जितनी शीघ्र हो सका
उतनी तेजी से आया हूँ... और अब, मैं चाहता हूं कि आप भी शांत हो जाएं ताकि मैं भी
अपना काम शांति से कर सकूं" "शांत हो जाओ ?~~ क्या होता यदि आपका अपना बेटा अभी इस
कमरे में जीवन और मौत में झूल रहा होता, तो क्या आप शांत हो जाते? यदि आपका अपना
बेटा, अब मर रहा हो तो आप क्या करेंगे?" पिता ने क्रोध में कहा चिकित्सक ने पुनः
शालीनता से उत्तर दिया: "मैं वही कहूंगा जो ईश्वर ने गीता में संदेश दिया है कि कण
कण में भगवान है। हम सभी मिट्टी से जन्मे है मिट्टी में मिल जाना है। ईश्वर सभी का
भला करे" "हम चिकित्सक उपचार कर सकते है, जीवन को लम्बा नहीं कर सकते। आप अपने बेटे
के लिए प्रार्थना कीजिये और विश्वास रखिये की हम भी ईश्वर की कृपा से अपना
सर्वश्रेष्ठ करेंगे" "दूसरे का बेटा है न, जब हम टेंशन में न हों तो ज्ञान देना
कितना आसान होता है" पिता बुदबुदाया। सर्जरी में कुछ घंटे लगे जिसके उपरांत
चिकित्सक प्रसन्न होकर बाहर निकला, "भगवान का कृपा है!, आपका बेटा बच गया है!" और
पिता के उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना ही वह चिकित्सक बोलते बोलते बाहर की ओर दौड़ता
सा चला गया की "यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो नर्स से पूछ लेना !!" चिकित्सक के जाने
के कुछ मिनट उपरांत नर्स को देखकर पिता ने टिप्पणी की- "ये चिकित्सक इतना अहंकारी
क्यों है? कुछ मिनट प्रतीक्षा नहीं कर सका कि मैं अपने बेटे की स्थिति के बारे में
उससे कुछ पूछूं" नर्स ने रुआंसे होकर उत्तर दिया,कहते कहते ही नर्स के चेहरे पर
अश्रु ढुलकने लगे: "उनका जवान बेटा, जो चिकित्सकी की पढ़ाई कर रहा था , कल एक सड़क
दुर्घटना में मर गया। जब हमने उन्हें आपके बेटे की सर्जरी के लिए तुंरन्त बुलाया तो
वो उंस समय उसे जलाने के लिये ले जा रहे थे। और अब जब उन्होंने आपके बेटे की जान
बचा ली है, तो वह अपने बेटे की अंतिम किर्याक्रम के लिए श्मशान के लिए भाग कर गए
हैं" वहां उनकी पत्नी तथा रिश्तेदार उनकी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। _"दुनिया मे
कितना दुख है, मेरा दुख कितना कम है"_ एक चिकित्सक के लिए मरीजों की सेवा ही कर्म
और धर्म है। इस सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहने दी जाती है। विश्वास
मानिए उनकी भरसक प्रयास होती है कि अपनी चिकित्सकीय सेवा के जरिये मरीजों को
संतुष्ट करें। आप भी कभी किसी के दुख का आंकलन कम अथवा अधिक में मत कीजिये क्योंकि
आप कभी नहीं जानते कि उनका जीवन कैसा है और वे अपने जीवन मे किस दौर से निकल रहे
हैं"-दिनेश बरेजा प्रेषक- दिनेश बरेजा
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