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बुधवार, 13 अप्रैल 2022

“ हनुमान चालीसा की रचना ” कहानी ~ नमः वार्ता

🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
 हनुमान चालीसा की रचना 


बात 1600 ईस्वी  की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था।
एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया।

जब यह बात अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं। तब बीरबल ने बताया, इन्होंने ही रामचरित मानस का अनुवाद किया है, यह रामभक्त तुलसीदास जी है, मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।

उपरांतशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और  तुलसीदास जी को उपरांत अकबर का आदेश सुनाया कि आप किले में उपस्थित हों।

यह  सुन कर तुलसीदास जी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, मुझे अकबर और किले से मुझे क्या लेना-देना और किले जाने के लिए  साफ मना कर दिया।

जब यह बात  अकबर तक पहुँची तो बहुत बुरी लगी और  अकबर क्रोध में लालमलाल हो गया, और उन्होंने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़वा कर किला लाने का आदेश दिया।

जब तुलसीदास जी जंजीरों से जकड़े  किला पहुंचे तो अकबर ने कहा की आप कोई अद्भुद व्यक्ति लगते हो, कुछ जादू करके दिखाओ। तुलसी दास ने कहा मैं तो केवल भगवान श्रीराम जी का भक्त हूँ कोई जादूगर नही हूँ जो आपको कोई जादू दिखा सकूँ।
अकबर यह सुन कर और आगबबूला हो गया और उसने आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।
दूसरे दिन इसी आगरा के किले पर लाखों बंदरों ने एक साथ हमला बोल दिया, पूरा किला तहस नहस कर डाला। लालकिले में त्राहि-त्राहि मच गई, तब अकबर ने बीरबल को बुला कर पूछा कि बीरबल यह क्या हो रहा है, तब बीरबल ने कहा आप जादू देखना चाहते थे तो देखिये।

अकबर ने तुरंत तुलसीदास जी को काल कोठरी से निकलवाया और जंजीरे खोल दी गई। तुलसीदास जी ने बीरबल से कहा मुझे बिना अपराध के सजा मिली है।

मैंने काल कोठरी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी का स्मरण किया, मैं रोता जा रहा था। और रोते-रोते मेरे हाथ अपने आप कुछ लिख रहे थे। यह 40 चौपाई, हनुमान जी की प्रेरणा से लिखी गई हैं।  कारागार से छूटने के उपरांत तुलसीदास जी ने कहा जैसे हनुमान जी ने मुझे कारागार के कष्टों से छुड़वाकर मेरी सहायता की है उसी प्रकार जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में  होगा और इसका पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट दूर होंगे। इसको हनुमान चालीसा के नाम से जाना जायेगा। 
अकबर बहुत लज्जित हुए और तुलसीदास जी से माफ़ी मांगी और पूरे सम्मान और पूरी सुरक्षा, से मथुरा भिजवाया।
 आज हनुमान चालीसा का पाठ सभी लोग कर रहे हैं। और हनुमान जी की कृपा उन सभी पर हो रही है। और सभी के संकट दूर हो रहे हैं। हनुमान जी को इसीलिए "संकट मोचन" भी कहा जाता है। 
प्रेषक-
 दिनेश बरेजा 


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