अनुवादक

बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

"प्रार्थना के भाव" कहानी ~ दिनेश बरेजा


🔆💥 जय श्री राम 🔆💥

 प्रार्थना के भाव 

मेरी फैक्ट्री के पास एक Breakfast point है। हम वहां अक्सर जाते है वहां बहुत भीड़ होती है।

वहां मैंने कई बार नोटिस किया कि एक व्यक्ति आता है, जी भर के खाता है और भोजन के बाद भीड़ का लाभ उठाते हुए चुपचाप बिना पैसा दिए हुए निकल जाता है।

एक दिन जब वो व्यक्ति खा रहा था मैंने रेस्तरां के मालिक को चुपचाप मोबाइल किया कि ये भाई, जो खा रहा है, खा पी के चुपचाप भीड़ का लाभ उठाते हुए बिना बिल का पेमेंट किये निकल जायेगा।

पर Breakfast point का मालिक मेरी बात पर मुस्कराया और बोला कि उस भाई को भोजन करने दीजिये और बिना एक शब्द कहे जाने दीजिए ....
फिर मैं आपसे बात करता हूँ
हमेशा की तरह, भोजन करने के बाद उस भाई ने आसपास देखा और चुपचाप बिना पैसे दिए भीड़ के बीच मे फिर रफू चक्कर हो गया

जब वो चला गया तो मैंने मालिक से पूछा कि ये जानने के बाद भी की वो पेमेंट किये वगैर जाएगा, आपने उसे बिना पेमेंट किये क्यों जाने दिया??

Breakfast Point का मालिक बोला आप अकेले नही हैं मुझे बहुत से भाइयों ने ये बात बताई की ये व्यक्ति ऐसा करता है

उसने कहा कि ये व्यक्ति मेरे counter से दूर शॉप के बिल्कुल front में बैठता है और जब वो देखता है कि भीड़ है तो वो चुपचाप निकल जाता है। मैंने हमेशा उसको अनदेखा किया और बिना पैसे दिए जाने के लिए कभी नही पकड़ा, कभी नही रोका, और कभी उसका अपमान भी नही कियाI

कयुंकि मैं मानता हूं कि -
वो ईश्वर का एक ऐसा भक्त है जो मेरी दुकान में भीड़ होने के लिए प्रार्थना करता है और मेरे रेस्तरां में जो भीड़ है वो इस ईश्वर के भक्त की भावपूर्ण प्रार्थना से है।

वो मेरी दुकान के सामने बैठेगा, प्रार्थना करेगा कि भीड़ आये और जब भी वो आता है मेरे रेस्तरां में बहुत भीड़ होती भी है।

मैं उसकी प्रार्थना-
"कि रेस्तरां में भीड़ हो और ईश्वर की स्वीकारोक्ति" के बीच मे रोड़ा डालकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार कर अपने भाग्य को नष्ट नही करना चाहता। मैं उसे कभी नही रोकूंगा, उसकी भावपूर्ण प्रार्थना में बहुत असर है-संकलित

 प्रार्थना ईश्वर के प्रति अंतरआत्मा से निकली हुई पुकार है, इस पुकार में बनावटीपन नहीं होता है। हृदय की गहराई से निकली हुई पुकार कभी भी निष्फल नहीं होती क्योकि इसमें गहन आस्था और प्रबल विश्वास होता है, और इसका परिणाम हमेशा सकारात्मक होता है। 

 हमारे प्राचीन ग्रंथो में भक्तो के द्वारा की गयी अंतरात्मा की पुकार और ईश्वर द्वारा उस पुकार के प्रत्युतर के कई उदाहरण है। जब ये पुकार द्रोपदी, मीरा, प्रहलाद, आदि के श्रद्धा, आस्था व विश्वास से भरे हृदय से निकली तो भगवान ने उनकी सहायता की। 

 जब व्यक्ति मन और वाणी को एक करके विश्वास के साथ किसी सकारात्मक मनोकामना के लिए प्रार्थना करता है तो ईश्वर उस पवित्र ह्रदय से निकली हुई प्रार्थना को स्वीकार करता है।
प्रेषक-दिनेश बरेजा 

👉🏻 https://twitter.com/NamahVarta 👉🏻 https://t.me/namahvartah 👉🏻https://m.facebook.com/599982183517249/ 👉🏻https://youtube.com/channel/UCdHB3uACqri1_ooKp0vhP6g 👉🏻 https://namahvarta.blogspot.com/?m=1

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें