🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ सम्मान के योग्य ” कहानी ~ नमः वार्ता
मैं प्लेन में अपनी सीट पर बैठ गया, दिल्ली के लिए दो घंटे की उड़ान थी। एक अच्छी किताब पढ़ना, एक घंटे की नींद लेना --- ये वो चीजें हैं जो मैं आमतौर पर अपनी यात्रा में करता हूं।
टेक-ऑफ से ठीक पहले, 10 सैनिक आए और मेरे आस-पास की सीटों पर बैठ गए, सभी सीटें भर चुकी थीं। मैंने अपने पास में बैठे सिपाही से केवल बातचीत करने के लिए पूछा "कहाँ जा रहे हैं?
"आगरा, सर! दो सप्ताह के लिए वहां एक प्रशिक्षण में भाग लेंगे, पुनः हमें ऑपरेशन के लिए
भेजा जाएगा," उसने कहा।एक घंटा बीत गया, घोषणा सुनी गई, कि जो यात्री चाहें वो पैसे देकर लंच कर सकते हैं।
मैंने सुना और मैं पर्स निकालने और अपना लंच बुक करने की सोच रहा था।
"क्या आप भी लंच करेंगे?" मैने सैनिकों में से एक से पूछा
वो बोला, "नहीं! प्लेन में दोपहर का भोजन महंगा है, दिल्ली में विमान से उतरकर किसी सस्ते से ढाबे पर भोजन करेंगे!"
"ठीक!" अन्य सैनिकों ने भी सहमति व्यक्त की।
मैं फ्लाइट अटेंडेंट के पास गया, और उसे सभी सेनिको के दोपहर के भोजन के लिए पैसे दिए, यह कहते हुए, "उन्हें भी दोपहर का भोजन दो।" मैंने उसकी आँखों में आँसू देखे। "मेरा छोटा भाई कारगिल में है, सर! ऐसा लगता है कि आपने उसे भोजन दिया ।
मैं अपनी सीट पर आकर बैठ गया
आधे घंटे में सभी के लिए लंच बॉक्स आ गये... मैंने भोजन समाप्त किया और प्लेन के पीछे वाले वॉशरूम जा रहा था। पीछे की सीट से एक बूढ़ा व्यक्ति आया और बोला "मैंने सब कुछ देखा, आपको बधाई।" उसने मुझसे हाथ मिलाया और कहा कि वह भी उस अच्छे काम में हिस्सा लेना चाहता है, उसने मेरे हाथ में 500 रुपये का नोट धकेलते हुए कहा... "मुझे तुम्हारी प्रसन्नता में हिस्सा लेने दो।"
मैं वापस अपनी सीट पर बैठ गया, आधा घंटा बीत गया। विमान का पायलट, मेरी सीट संख्या की तलाश में मेरे पास आया, मुझे देखा और मुस्कुरा दिया। उसने कहा कि वह मुझसे हाथ मिलाना चाहता है। मैंने अपनी सीट बेल्ट खोली और उठ खड़ा हुआ। उसने हाथ मिलाया और कहा, "मैं एक फाइटर पायलट हुआ करता था, पुनः आप जैसे किसी ने मेरे लिए भोजन खरीदा। यह आपके भीतर प्यार का प्रतीक है। मैं इसे कभी नहीं भूलूंगा।"
विमान में सवार यात्रियों ने तालियां बजाईं। मुझे थोड़ी लज्जािंदगी अनुभव हुई। अच्छी बात है कि मैंने यह किया, लेकिन मैंने प्रसंशा के लिए ऐसा नहीं किया।
यात्रा समाप्त हो गयी, मैं उठा और थोड़ा आगे की सीटों की ओर चल दिया। मैं प्लेन से निकलने के लिए दरवाजे के पास खड़ा था। एक 18 वर्ष के लड़के ने हाथ मिलाते हुए मेरे सामने एक नोट रखा, एक और व्यक्ति ने मेरी जेब में कुछ डाला और बिना बोले ही चला गया, एक और नोट।
मेरे साथ उतरे सभी सैनिक विमान से उतरते ही एक ही जगह मिले।
मैं उनके पास गया और विमान के अंदर साथी यात्रियों द्वारा मुझे दिए गए नोटों को निकाला और उन्हें यह कहते हुए उन्हें सौंप दिया, "यह पैसा आपके काम आएगा आप अपने प्रशिक्षण स्थल पर जाने से पहले कुछ भी खा लें, हम जो कुछ भी देते हैं वह बहुत कम है। आप हमें जो सुरक्षा देते हैं, उसकी तुलना में
आप इस देश के लिए जो काम कर रहे हैं, उसके लिए धन्यवाद।
वे दस सैनिक अपने साथ विमान में सवार सभी यात्रियों का प्यार लेकर चल रहे थे।
"उनकी लंबी उम्र का ध्यान रखना जो इस देश के लिए अपनी जान देने जा रहे हैं, भगवान! मैंने तहे दिल से भगवान से प्रार्थना की। संकलन आभार श्री देसराज जी
आप हम थोड़ा सी दिक्कत हो तो नौकरी छोड़ देते है। अपने जीवन को दांव पर लगाकर हमारी सुरक्षा के कार्य को करने वाले सभी सम्मान के योग्य है। आपसे अनुरोध है कि जब जहां अवसर मिले आदर देकर, धन्यवाद करने के शुभावसर का लाभ अवश्य उठाये। मेरा विश्वास है कि कर के देखिए अच्छा लगेगा। किसी पुलिस वाले को यूँही बिना बात धन्यवाद कह दीजिये। किसी सैनिक को आगे बढ़कर कोई फूल दे दीजिए। salute कर दीजिये। आपको स्वयं को अंदर से अच्छा लगेगा-दिनेश बरेजा
प्रेषक-
दिनेश बरेजा
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