🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ मूल्यवान सिख ” कहानी ~ नमः वार्ता
एक दिन दोपहर को एक मित्र के साथ सब्जी बाज़ार टहलने गया। अचानक, फटे कपड़ों में एक बूढ़ा आदमी हाथ में हरी सब्जियों का थैलियां लेकर हमारे पास आया। उस दिन सब्जियों की बिक्री बहुत कम थी,पत्ते निर्जलित और पीले रंग के लग रहे थे और उनमें छेद हो गए थे, जैसे कि कीड़ों ने काट लिया हो लेकिन मेरे मित्र ने बिना कुछ कहे तीन थैली खरीद लिए।
बूढ़े ने भी लज्जित होकर समझाया: "मैंने ये सब्जियां स्वयं उगाईं, कुछ समय पहले बारिश हुई थी, और सब्जियां भीग गई थीं। वे बदसूरत दिखती हैं। मुझे खेद है"
बूढ़े आदमी के जाने के पश्चात,मैंने अपने मित्र से पूछा: "क्या तुम सच में घर जाकर इन्हें पकाओगे?"
"तो फिर इसे खरीदने की परेशानी क्यों उठाई? " मैंने पूछा
उन्होंने उत्तर दिया, "क्योंकि उन सब्जियों को खरीदना किसी के लिए भी असंभव है, यदि मैं इसे नहीं खरीदता,तो संभवतः बूढ़े के पास आज के लिए कोई आय नहीं होती"
मैंने अपने मित्र की विचारशीलता और चिंता की मन ही मन प्रशंसा की
आगे चलकर मैंने भी बूढ़े व्यक्ति को पकड़ लिया और उससे कुछ सब्जियां खरीदीं
बुढ़े ने बहुत प्रसन्नता से कहा, "मैंने इसे पूरे दिन बेचने की प्रयास की, लेकिन कोई भी खरीदने के लिए तैयार नहीं था। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आप दोनों मुझसे खरीदे। बहुत-बहुत धन्यवाद"
मुट्ठी भर हरी सब्जियां जो मैं बिल्कुल भी नहीं खा सकता, ने मुझे एक मूल्यवान सिख सिखाया- "मानव जीवन का उद्देश्य है कि अपने मन, वचन और काया से औरों की मदद करना। हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, मानसिक शांति और आनंद का अनुभव होता है। वे अपनी आत्मा से अधिक जुड़े हुए महसूस करते हैं, और उनका जीवन संतोषपूर्ण होता है जबकि स्पर्धा से स्वयं को और दूसरों को तनाव रहता है।"
प्रेषक-दिनेश बरेजा
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