अनुवादक

शनिवार, 16 अप्रैल 2022

“ जीवन की सार्थकता/उद्देश्य ” कहानी ~ नमः वार्ता

🔆🔆🔆 जय श्री राम 🔆🔆🔆
 जीवन की सार्थकता/उद्देश्य 


हरी घास के बीच एक सूखी घास का तिनका पड़ा था। उसे देखकर हरी घास उस सूखे तिनके के निष्क्रिय अर्थहीन जीवन पर खिलखिला कर हँस पड़ी और हँसते-हँसते वह उससे कहने लगी, ‘अरे! सूखे रसहीन तिनके, तेरा हम हरे-भरों के बीच में क्या कार्य?’
हरी घास का यह ताना सुनकर सूखे तिनके को अपने रसहीन जीवन पर दुःख होने लगा और वह उदास हो गया। तभी तेज हवा का झोंका आया। हरी घास उसमें झूमने लगी परन्तु सूखा तिनका फुर्र से उड़कर पास में स्थित जल में जा गिरा।
उस जल में एक चींटी अपनी ज़िन्दगी बचाने के लिए मौत से लड़ रही थी कि अचानक उसके सामने वह सूखा तिनका आ गया।

चींटी उसी पल उस तिनके को पकड़कर उस पर बैठ गई। थोड़ी देर में उस तिनके के सहारे वह किनारे पर आ गई। अपनी जान बच जाने पर चींटी ने उस सूखे तिनके को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।

 इस पर तिनका बोला, “धन्यवाद तो आपका है, जिसने मेरे अर्थहीन जीवन का अर्थ मुझे समझा दिया..!!" -संकलित

_किसी भी व्यक्ति का जीवन वास्तव में कभी भी व्यर्थ नहीं होता है। मूल रूप से, आपका जीवन अपने अर्थ और उद्देश्य को कभी नहीं खो सकता है। अगर आप इस दुनिया में रह रहे हैं, तो इसकी गहराई में कोई कारण है। एकमात्र मुद्दा यह है कि आपने इसे पहचानने की दृष्टि खो दी है। इस दुनिया में आप किस लिए हैं, यह पता लगाने के लिए आपका दृष्टिकोण बहुत धुंधला है।_

_यह सब मानव की अपेक्षाओं से शुरू होता है और अंत में, प्रतिक्रियाओं से। प्रत्येक व्यक्ति संसार से कुछ न कुछ अपेक्षा करता है और परिवर्तित होे में उसे दूसरों की अपेक्षाओं पर प्रतिक्रिया देनी पड़ती है। तथ्य यह है कि आप जीवित हैं, इस दुनिया में रह रहे हैं, और एक और सांस लेने का मतलब है कि आप मायने रखते हैं। आपके जीवन का उद्देश्य अभी पूरा नहीं हुआ है, इसलिए आपको अभी भी इस दुनिया में कुछ प्रभाव डालना है।_

 यदि आपके जीवन का अर्थ उस घेरे के अंदर कहीं था जिसमें आप रहते हैं, तो आप इसे अब तक पा चुके होंगे। क्या यह स्पष्ट नहीं है कि आप जो खोज रहे हैं वह आपके सुविधा क्षेत्र से बाहर है? पुनः, आपको बाहर निकलने से क्या रोक रहा है? बाहर निकलने में संकोच न करें। अल्पकालिक असुविधा आपको जीवन के दीर्घकालिक उद्देश्य को खोजने में मदद करेगी, जो आपको जीवन भर विश्राम और निरर्थक जीवन से एक निरंतर रास्ता देगी। 
प्रेषक-
 दिनेश बरेजा 

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