🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
कबूतर का घोंसला
_( कभी कबूतर का घोंसला देखा है ? टूटा उजड़ा सा और कभी कभी तो नहीं ही होता है)_
बात उस समय की है जब कबूतर झाड़ियों में अण्डे दिया करते थे। लोमड़ी आती और उनके अण्डे खा जाती। रखवाली का कोई ठीक प्रबन्ध न बन पड़ा तो कबूतरों ने दूसरी चिड़ियों से बचाव का उपाय पूछा।
चिड़ियों ने कहा पेड़ पर घोंसला बनाने के अलावा और कोई चारा नहीं।
कबूतर ने घोंसला बनाया पर वह ठीक प्रकार बन न सका। आखिर उसने तय किया कि दूसरी चिड़ियों की सहायता से घोंसला बनाने का काम पूरा किया जाय।
चिड़ियों को बुलाया तो वे प्रसन्नी प्रसन्नी आई और कबूतर को अच्छा घोंसला बनाना सिखाने लगी। अभी बनना शुरू ही हुआ था कि कबूतर ने कहा- "ऐसा बनाना तो हमें आता हैं यों तो हमीं बना लेंगे।"
चिड़ियां वापिस चली गई।
कबूतर ने बहुत प्रयास किया पर घोंसला ठीक से बना नहीं। वह पुनः चिड़ियों के पास गया। खीजती हुई वे पुनः आई और तिनके ठीक प्रकार जमाना सिखाने लगी। आधा भी काम पूरा न हो पाया था कि कबूतर उचका। उसने कहा- “ऐसे तो मैं जानता ही हूँ।”
चिड़ियाँ वापिस चली गई। कबूतर लगा रहा पर वह बना पुनः भी न सका।
चिड़ियों के पास पुनः पहुँचा तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया और कहा - "जो जानता कुछ नहीं और मानता है कि मैं सब कुछ जानता हूँ, ऐसे मूर्ख को कोई कुछ नहीं सिखा सकता।"
नासमझ कबूतर अपने ओछे अहंकार में किसी से कुछ न सीख सका और आज तक उसका घोंसला अन्य चिड़ियों की प्रकार नहीं बनता है, वो टुटा फूटा ही बना पाता है ।
कहानी की तात्पर्य है क़ि.......
अगर हमको कोई काम नहीं आता, और हम किसी और से सीखना चाहते है तो जो वो सीखा रहा है, उसको ध्यान से सीखे, चाहे वो थोड़ा बहुत हमको आता भी क्यू ना हो, पहले उसकी बात ध्यान से सुन समझ ले........
परमात्मा ने किसी को भी 100% परफेक्ट नहीं बनाया.....
हम सभी को हर किसी से जो भी कौशल है,उसको सीखना चाहिए.....
यही सफल जीवन की कहानी लिखने में कारगर होता है।
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