आपने पिछली कक्षाओं में अध्ययन किया होगा कि भोजन का खट्टा एवं कड़वा स्वाद भोजन में विद्यमान क्रमशः अम्ल एवं क्षारक के कारण होता है। यदि आपके परिवार का कोई सदस्य अत्यधिक भोजन करने के कारण अम्लता से पीड़ित है तो आप कौन सा उपचार सुझाएँगेे? नींबू पानी, सिरका या बेकिंग सोडा का विलयन?
उपचार बताते समय आप किस गुणधर्म का ध्यान रखेंगे? आप जानते हैं कि अम्ल एवं क्षारक एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त करते हैं। आपने अवश्य ही इसी जानकारी का उपयोग किया होगा।
याद कीजिए कि कैसे हमने बिना स्वाद चखे ही खट्टे एवं कड़वे पदार्थों की जाँच की थी।
आप जानते हैं कि अम्लों का स्वाद खट्टा होता है तथा यह नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं। जबकि क्षारकों का स्वाद कड़वा होता है एवं यह लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं। लिटमस एक प्राकृतिक सूचक होता है। इसी प्रकार हल्दी (turmeric) भी एक एेसा ही सूचक है। क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि श्वेत कपड़े पर लगे सब्जी के दाग पर जब क्षारकीय प्रकृति वाला साबुन रगड़ते हैं तब उस धब्बे का रंग भूरा-लाल हो जाता है? लेकिन कपड़े को अत्यधिक जल से धोने के पश्चात् वह फिर से पीले रंग का हो जाता है। अम्ल एवं क्षारक की जांँच के लिए आप संश्लेषित (synthetic) सूचक जैसे मेथिल अॉरेंज (methyl orange) एवं फीनॉल्फथेलिन (phenolphthalein) का भी उपयोग कर सकते हैं।
इस अध्याय में हम अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रियाओं के बारे में अध्ययन करेंगे। हमें जानकारी प्राप्त होगी कि अम्ल एवं क्षारक कैसे एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं। साथ ही दैनिक जीवन में पायी जाने वाली तथा उपयोग में आने वाली बहुत सी रोचक वस्तुओं के बारे में भी हम अध्ययन करेंगे।
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