🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ बहु और बेटी ” कहानी ~ नमः वार्ता
```विवाह के उपरांत मायके आने पर जब भी सलवार सूट पहनने की चाहत प्रगट की तो माँ नें स्पष्ट मना कर दिया कहा “जब ससुराल में पसन्द नहीं करते तो कोई आवश्यकता नहीं यहाँ भी पहनने की और हाँ, तुम्हारे पापा को भी पसन्द नही अब तुम्हारा सलवार सूट पहनना। विवाह के उपरांत बेटियाँ साड़ी में ही अच्छी लगती हैं।” मन मार कर साड़ी ही पहनने लगी।
कुछ समय उपरांत भाई की विवाह हुई। मैंने देखा भाभी अपने साथ लाये कपड़ों मे सलवार सूट भी लाई थी। अच्छा लगा चलो उसकी माँ ने उसकी इच्छा को मान दिया। हमारी तो मन की मन में ही रह गयी।
कुछ समय उपरांत फिर जब मेंरा अचानक मायके आना हुआ तो देखा कि माँ भाभी से कह रही थी “रसोई में साड़ी पहन कर सर ढक कर काम करना आवश्यक नहीं है, जिन कपड़ों में अच्छा अनुभव करो वो ही पहनो।” वो स्वयं भाभी को सुझाव दे रही थी।
मन को प्रसन्नता हुई फिर मैं अकेले में माँ से बोली “तुम अपनी बहू को तो सूट पहनने देती हो और बेटी को मना करती हो।”
माँ समझाते हुये बोली “वो बहू है हमारी, उसके मन का ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है। आज हम उसका ध्यान रखेंगे उसे समझेंगे, कल को वो भी हमें समझ कर हमारा ध्यान रखेगी।
तुम दूसरे घर की बहू हो, वहाँ के लोगो की भावनाओं का ध्यान रखना तुम्हारा कर्तव्य है। यदि हम तुम्हें उन लोगो के विरुद्ध जाने में साथ देंगे तो तुम्हारा घर बिखर जायेगा।
पहले अपने गुणों से सबके हृदय में स्थान बनाओ फिर उनकी सहमति से अपने रुचियां पूरी करो। हम तो बहू के साथ बस वही कर रहे है जो व्यवहार हम तुम्हारे लिये तुम्हारी ससुराल में चाहतें हैं।”
प्रेषक-
दिनेश बरेजा
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