अनुवादक

रविवार, 3 अप्रैल 2022

“जीवन की सीख” कहानी ~ नमः वार्ता

🔱जय जय शिव शक्ति महादेव🔱
  जीवन की सीख  


एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ चुन रहा था कि तभी उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा “आखिर इस हालत में ये जिंदा कैसे है? और ऊपर से ये बिलकुल स्वस्थ है।”
वह अपने कल्पनाओं में खोया हुआ था कि अचानक चारो ओर भगदड़ मचने लगी ; जंगल का राजा शेर उस ओर आ रहा था। भिक्षुक भी तेजी दिखाते हुए एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया और वहीँ से सब कुछ देखने लगा। शेर ने एक हिरण का शिकार किया था और उसे अपने जबड़े में दबा कर लोमड़ी की ओर बढ़ रहा था। पर उसने लोमड़ी पर हमला नहीं किया बल्कि उसे भी खाने के लिए मांस के कुछ टुकड़े डाल दिए।
“ये तो घोर आश्चर्य है, शेर लोमड़ी को मारने की बजाये उसे भोजन दे रहा है।" भिक्षुक बुदबुदाया, उसे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। इसलिए वह अगले दिन पुनः वहीँ आया और छिप कर शेर का इंतज़ार करने लगा। आज भी वैसा ही हुआ, शेर ने अपने शिकार का कुछ हिस्सा लोमड़ी के सामने डाल दिया।
“यह भगवान् के होने का प्रमाण है !” भिक्षुक ने अपने आप से कहा। “वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का भी व्यवस्था कर देता है। आज से इस लोमड़ी की प्रकार मैं भी ऊपर वाले की दया पर जीऊंगा, इश्वर मेरे भी भोजन की व्यवस्था करेगा।” और ऐसा सोचते हुए वह एक वीरान जगह पर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया।
पहला दिन बीता पर कोई वहां नहीं आया। दूसरे दिन भी कुछ लोग उधर से निकल गए पर भिक्षुक की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इधर बिना कुछ खाए-पिए वह कमजोर होता जा रहा था। इसी प्रकार कुछ और दिन बीत गए, अब तो उसकी रही सही ताकत भी खत्म हो गयी। वह चलने के लायक भी नहीं रहा। उसकी हालत बिलकुल मृत व्यक्ति की प्रकार हो चुकी थी कि तभी एक महात्मा उधर से निकले और भिक्षुक के पास पहुंचे।
उसने अपनी सारी कहानी महात्मा जी को सुनाई और बोला , “अब आप ही बताइए कि भगवान् इतने निर्दयी कैसे हो सकते हैं, क्या किसी व्यक्ति को इस हालत में पहुंचाना पाप नहीं है?”
“बिल्कुल है,” महात्मा जी ने कहा, “लेकिन तुम इतने मूर्ख कैसे हो सकते हो? तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान तुम्हे उस शेर की प्रकार बनते देखना चाहते थे , लोमड़ी की प्रकार नहीं !!!”
हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस प्रकार समझनी चाहिए, उसके विपरीत समझ लेते हैं। ईश्वर ने हम सभी के अन्दर कुछ न कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं, आवश्यकता है कि हम उन्हें पहचानें। इस कहानी में भिक्षुक का सौभाग्य था कि उसे उसकी गलती का आभास कराने के लिए महात्मा जी मिल गए पर हमें स्वयं भी चौकन्ना रहना चाहिए कि कहीं हम शेर की जगह लोमड़ी तो नहीं बन रहे हैं।
प्रेषक:-
अनंतचरण दास ,(अनंतअजय)  
चैतन्यमहाप्रभु अनुयाई, मां कामाख्या साधक, धर्मगुरु
समस्या~समाधान, कोटा~वृंदावन।



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