वर्ष 1907 में पगड़ी संभाल आंदोलन शुरू करने वाले सरदार अजीत सिंह की स्मृति में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 23 फरवरी, 2021 को पगड़ी संभाल दिवस के रूप में मनाया।
उल्लेखनीय है दिल्ली में चल रहे विरोध प्रदर्शन के भाग के रूप में किसान संगठनों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि संसद द्वारा पारित कृषि कानून किसानों को अपनी ज़मीन कॉरपोरेट्स को बेचने के लिये मजबूर करेंगे। किसान संगठनों की यह शिकायत वर्ष 1907 में किसान संगठनों द्वारा की गई शिकायत के समान है जिसके परिणामस्वरूप पगड़ी संभाल आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
प्रमुख बिंदु
पगड़ी संभाल आंदोलन:
आंदोलन के विषय में:
यह एक सफल किसान आंदोलन था जिसने वर्ष 1907 में ब्रिटिश सरकार को कृषि से संबंधित तीन कानूनों को रद्द करने के लिये विवश किया। ये तीन कानून थे-
पंजाब भूमि अलगाव अधिनियम (Punjab Land Alienation Act) 1900, पंजाब भूमि उपनिवेशीकरण अधिनियम (Punjab Land Colonisation Act) 1906 और दोआब बारी अधिनियम (Doab Bari Act) 1907।
इन अधिनियमों के चलते किसान भूमि के मालिक न रहकर भूमि के ठेकेदार/अनुबंधक बन जाते और यदि किसान अनुमति लिये बिना अपने खेत में एक पौधा भी छू लेता तो ब्रिटिश सरकार उस किसान को आवंटित भूमि वापस ले सकती थी।
आंदोलन का नारा:
'पगड़ी संभाल जट्टा' का नारा तथा आंदोलन का नाम जंग स्याल (Jang Sayal) अखबार के संपादक बांके लाल के गीत से प्रेरित था।
आंदोलन के नेतृत्वकर्त्ता:
इस आंदोलन के प्रमुख नेतृत्वकर्त्ता भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह थे जिन्होंने कृषि कानूनों से नाराज़ किसानों को संगठित करने का कार्य किया।
भगत सिंह के पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह ने अपने क्रांतिकारी मित्र घसीटा राम के साथ मिलकर भारत माता सोसाइटी (Bharat Mata Society) का गठन किया। इस सोसाइटी का उद्देश्य किसानों में व्याप्त नाराज़गी को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक आंदोलन का रूप देना था।
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