इन राजपूत योद्धा के विषय में पता है
कि:-
1. करौली के जादोन राजा अपने
सिंहासन पर बैठते वक़्त अपने दोनो हाथ
जिन्दा शेरों पर रखते थे|
2. जोधपुर के जसवंत सिंह के 12 साल के
पुत्र पृथ्वी सिंह ने हाथोँसे औरंगजेब के
खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़
डाला था|
3. राणा सांगा के शरीर पर युद्धों के
छोटे-बड़े 80 घाव थे। युद्धों में घायल होने
के कारण उनके एक हाथ नहीं था, एक पैर
नही था, एक आँख नहीं थी। उन्होंने अपने
जीवन-काल में 100 से भी अधिक युद्ध लड़े
थे |
4. रायमलोत कल्ला का धड़,शीश कटने के
बाद लड़ता-लड़ता घोड़े पर
पत्नी रानी के
पास पहुंच गया था तब रानी ने गंगाजल के
छींटे डाले तब धड़ शांत हुआ |
5. चित्तौड़ के जयमाल मेड़तिया ने एक
ही झटके में हाथी का सिर काट
डाला था |
6. चित्तौड़ में अकबर से हुए युद्ध में
जयमाल राठौड़ पैर जख्मी होने की वजह
से
कल्ला जी के कंधे पर बैठ कर युद्ध लड़े थे।
ये देखकर सभी युद्ध-रत साथियों को
चतुर्भुज भगवान की याद आ गयी थी, जंग
में दोनों के सर काटने के बाद भी धड़
लड़ते रहे और राजपूतों की फौज ने दुश्मन
को मार गिराया। अंत में अकबर ने उनकी
वीरता से प्रभावित हो कर जयमाल और
कल्ला जी की मूर्तियाँ आगरा के किले में
लगवायी थी |
7. एक राजपूत वीर जुंझार जो मुगलों से
लड़ते वक्त शीश कटने के बाद भी घंटे तक
लड़ते रहे आज उनका सिर बाड़मेर में है,
जहाँ छोटा मंदिर हैं और धड़ पाकिस्तान
में है |
राजस्थान पाली में आउवा के ठाकुर खुशाल
सिंह 1877 में अजमेर जा कर अंग्रेज
अफसर का सर काट कर ले आये थे और
उसका सर अपने किले के बाहर
लटकाया था,
तब से आज दिन तक उनकी याद में
मेला लगता है।
8. महाराणा प्रताप के भाले का वजन
सवा मन (लगभग 50 किलो ) था, कवच
का वजन 80 किलो था। कवच, भाला, ढाल
और हाथ में तलवार का वजन मिलाये
तो लगभग
200 किलो था। उन्होंने तलवार के एक
ही वार से बख्तावर खलजी को टोपे,कवच,
घोड़े सहित एक ही झटके में काट
दिया था |
9. सलूम्बर के नवविवाहित रावत रतन
सिंह चुण्डावत जी ने युद्ध जाते समय मोह-
वश
अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई
निशानी मांगी तो रानी ने सोचा ठाकुर
युद्ध में मेरे
मोह के कारण नही लड़ेंगे तब रानी ने
निशानी के तौर पर अपना सर काट के दे
दिया था।
अपनी पत्नी का कटा शीश गले में
लटका कर मुग़ल सेना के साथ भयंकर युद्ध
किया और
वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृ
भूमि के लिए शहीद हो गये थे
10. हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से
20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से
85000 सैनिक थे। फिर भी अकबर की मुगल
सेना पर राजपूत भारी पड़े थे।
जिन्होंने हम पर राज किया उन्होंने हमारी भाषा और शिक्षा बदल कर हमारी असली पहचान को मिटा दिया
लोग पहले उनके शरीर से गुलाम थे आज मानसिक गुलाम बन गए।
@ॐ_नमः_वार्ताः!
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