अनुवादक

गुरुवार, 18 जून 2020

क्षत्रियों ने समाज के हर जाति को सामाजिक परंपराओं से इतने सुन्दर तरीक़े से जोडा -- जानिये कैसे ??


प्राचीनकाल में ज्यादातर राजा क्षत्रीय ही होते थे और क्षत्रियों ने समाज के हर जाति को सामाजिक परंपराओं से इतने सुन्दर तरीक़े से जोडा  -- जानिये कैसे  ??
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🤷‍♂क्षत्रियों  ने विवाह के समय समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े दलित को जोड़ते हुये अनिवार्य किया कि दलित स्त्री द्वारा बनाये गये चुल्हे पर ही सभी शुभाशुभ कार्य होगें।  इस तरह सबसे पहले दलित को जोडा गया .....

🤝  धोबन के द्वारा दिये गये जल से ही कन्या सुहागन रहेगी इस तरह धोबी को जोड़ा...

🤝 कुम्हार  द्वारा दिये गये मिट्टी के कलश पर ही देवताओ के पुजन होगें यह कहते हुये कुम्हार को जोड़ा...                         

🤝 मुसहर जाति जो वृक्ष के पत्तों से पत्तल/दोनिया बनाते है यह कहते हुये जोड़ा कि इन्हीं के बनाए गये पत्तल/दोनीयों से देवताओं का पुजन सम्पन्न होगे...

🤝 कहार जो जल भरते थे यह कहते हुए जोड़ा कि इन्हीं के द्वारा दिये गये जल से देवताओं के पुजन होगें...

🤝 बिश्वकर्मा जो लकड़ी के कार्य करते थे यह कहते हुये जोड़ा कि इनके द्वारा बनाये गये आसन/चौकी पर ही बैठकर वर-वधू देवताओं का पुजन करेंगे ...

🤝 फिर वह हिन्दु जो किन्हीं कारणों से मुसलमानबन गये थे उन्हें जोड़ते हुये कहा गया कि इनके द्वारा सिले हुये वस्त्रों (जामे-जोड़े) को ही पहनकर विवाह सम्पन्न होगें...

🤝फिर उस हिन्दु से मुस्लिम बनीं औरतों को यह कहते हुये जोड़ा गया कि इनके द्वारा पहनाई गयी चूडियां ही बधू को सौभाग्यवती बनायेगी...

🤝 धारीकार जो डाल और मौरी को  दुल्हे के सर पर रख कर द्वारचार कराया जाता है,को यह कहते हुये जोड़ा गया कि इनके द्वारा बनाये गये उपहारों के बिना देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिल सकता....           

🤝 डोम जो गंदगी साफ और मैला ढोने का काम किया करते थे उन्हें यह कहकर जोड़ा गया कि मरणोंपरांत इनके द्वारा ही प्रथम मुखाग्नि दिया जायेगा....

👉इस तरह समाज के सभी वर्ग जब आ जाते थे तो घर कि महिलायें मंगल गीत का गायन करते हुये उनका स्वागत करती थी और पुरस्कार सहित दक्षिणा देकर बिदा करती थी.. ., 
समाज के हर वर्ग की उपस्थिति हो गई है ??  जानने के  बाद नाई के हाँ कहने के बाद ही ब्राह्मण  मंगल-पाठ प्रारम्भ किया करते  थे !

आजादी के बाद सत्ता की लालच में एक गंदी चाल के तहद क्षत्रियों को नरंकुश व अत्याचारी कहकर बदनाम किया गया ? कहाँ दोषी थे  हम?.. .हाँ  क्षत्रियों का दोष इतना ही है कि हमने अपनी इन महानताओं को मज़बूती से नहीं उठाया ।

हमारे कुल में कई देवताओं ने जन्म लेकर जग के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया एवं लोक कल्याण के लिए दुष्टों का संहार किया । हम भी हमेशा कुछ ऐसा करें, जिससे हमारी गौरवशाली परम्पराएँ एवं इतिहास हमेशा आपको याद रख सके।

                          @ॐ_नमः_वार्ताः!

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